आतंकवाद को मूर्त रूप देने के वैसे तो बहुत तौर तरीके है.मगर अभी हाल ही में ,मैं उस व्यक्ति जिसके पलायन पर तमाम तुस्टीकरण की राजनीती करने वाले और मीडिया चिल्ल पो,मचा रहे है के घिनौने तौर तरीको से वाकिफ हुआ ,जो की अब तक इस्तेमाल नहीं हुए थे.
आतंकवाद सिर्फ मानव मात्र को काटना मरना ही नहीं उसके मूल धर्मं का नाश करना भी है,क्योंकि धर्मं के बगैर तो जीवन संभव ही नहीं है.
देखते है कैसे?
“एंटी हिंदुज ” नामक पुस्तक के लेखक द्वय इस बात का जवाब देते है.
एम् .ऍफ़ . हुसैन की कुछ पेंटिंग्स के हवाले से-
१.शीर्षक दुर्गा में माँ दुर्गा को बाघ के साथ रति क्रिया में संलिप्त चित्रित किया गया है.
२.रेस्कुइंग सीता में जानकी जी को नग्न अव्श्था में हनुमान जी की लैंगिक रूप में चित्रित पूंछ को पकडे हुए दर्शया गया है.
३.भगवन विष्णु जी को विकृत और हाथ पैरो से विहीन दिखाया गया है.
४.विद्या माता को नग्न दिखाया गया है.
५.नग्न माता लक्ष्मी जी को गणेश जी के सर पर स्वर पैंट किया है इस स्वतंत्र चित्रकार ने.
६.हनुमान-४ नामक पेंटिंग में तो ब्रम्हचर्य की प्रतिमूर्ति हनुमान प्रभु को अपना जननांग एक युगल की तरफ दिखाया गया है.
७.हनुमान -१३ में तो हद हो गयी है.माँ जानकी को नग्न अव्श्था में नग्न रावन के जांघ पर बैठा हुआ दिखाया गया है,और हनुमान जी नंगे है और अपनी गदा से रावन पर वार कर रहे है.
८.एक पेंटिंग में माता पारवती जी को सांध /बैल के साथ सहवास करते हुए दिखाया गया है.
आप चाहे तो इस दुस्त कि ,कुत्सित मानसिकता का परिचय ले सकते है.कृपया नीचे क्लीक करे-
http://youtube.com/watch?v=25zh8i9_VAM
जिस कलात्मकता की स्वतंत्रता की बात ये आज के नेता मीडिया और तुस्टीकरण की राजनैतिक रोटिया सकने वाली सरकारे कर रही है,उन्हें ये क्यों नहीं दिखाई देता की,उस कलाकार की स्वतंत्रता कहा चली जाती है,जब वो पैगम्बर की बेटी को कपड़ो में दिखता है.इतना ही नहीं वो माँ और बेटी को भी कपड़ो में दिखता है.
सच तो बस ये है की.एम्,ऍफ़.हुसैन विकृत कामवासना से ग्रस्त एक ऐसा व्यक्ति है,जो हिन्दू जनता के लिए खतरनाक ही नहीं “क़तरनाक” भी सिद्ध हुआ है.
आज कल वो तो क़तर में जाके ऐसो आराम से रह रहा है,और अपने को हिंदूवादी कहलाने वाली पार्टिया जैसे की भारतीय जनता पार्टी,विश्व हिन्दू परिषद्,राष्ट्रिय स्वंसेवक संघ आदि आदि…….. अनेको पार्टिया बस कागज़ी शेर बनने के अलावा कुछ भी नहीं कर पा रहे है.एम्.ऍफ़.हुसैन आतंकवादी है क्योकि उसने ८० करोड़ हिन्दू भावनाओ का बलात्कार किया है,गला घोटा है हमारी अश्था का.
आखिर कब तक हम ऐसे ही चुप होकर अपनी नामर्दी की पहिचान कराते रहेंगे.अब वक्त आ गया है की हम इस नीच और कुत्सित मानसिकता के जीव को सजा दे.गीता में लिखा है,
|| यदा यदा ही धर्मस्य
ग्लानिर भवति भारत
अभ्युत्थानं धर्मस्य
तदात्मानंस्राजम्यहम ||
अर्थात अब तो तुम इस उदारवाद और अहिंसा की जंजीर को तोड़ दो और नया अवतार लो.मुझे तो आज के परिप्रेच्य में इस श्लोक का अर्थ यही समझ में आता है.
माना कि हम हिन्दू लोग शांति के परिचायक,सहनशीलता के प्रतिमूर्ति और धर्म-ध्वजा के वाहक है,लेकिन हम इतने कमजोर नहीं की अपने आन बान और शान की रछा भी न कर सके..और वो भी जब बात हमारे ईस्ट देवी देवतावो की हो.
गोस्वामी जी ने भी लिखा है —
काटे पाई कदली फरई कोटि जतन कोऊ सींच,
विनय न मानही खगेश सुनु डांटे पाई नव-नीच.
अर्थात जिस प्रकार केले का पौधा बिना कटे फल नहीं दे सकता उसी प्रकार से ऐसे दुष्ट व्यक्ति को सजा दिए बिना भलेमंसाहत की इछा व्यर्थ ही सिद्ध होगी.
जरूरत है तो उसे वहा से हमारा कानून घसीट कर यहाँ ले आये और कड़ी से कड़ी सजा दे,वर्ना गीता में यह भी लिखा है की धर्म की रछा के लए मारना हत्या करना नहीं वध कहलाता है.
इससे पहले की कोई कट्टर हिन्दू भाई बहन उसका गला धड से अलग कर दे ,कृपया ऊपर ओहदे पर बैठे लोग इस बात पर अमल करे.
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments